बीजेपी से सपा में घर वापसी कर सकते हैं नरेश अग्रवाल, पढ़िए पूरी इनसाइड स्टोरी !



लखनऊ :उत्तर प्रदेश का हरदोई जिला अपनी पौराणिक मान्यताओं के खासा महत्व रखता है। हिरण्य कश्यप की पौराणिक कथा से हरदोई का नाम जोडा जाता है लेकिन राजनीति की धुरी में यहां सिर्फ एक ही नाम चलता है और वह नाम है नरेश अग्रवाल का।

नरेश अग्रवाल को उत्तर प्रदेश की राजनीति का मौसम विशेषज्ञ भी माना जाता है। अपने चार दशक लंबे राजनीतिक सफर में वह यूपी की चार पार्टियों के प्रमुख पदों पर रह चुके हैं। फिलहाल वह भारतीय जनता पार्टी के साथ हैं।

2018 में समाजवादी पार्टी के साथ उपजे मनमुटाव के बाद वह बीजेपी में शामिल हुए थे। उत्तर प्रदेश के आगामी चुनावों से पहले उनके नाम पर एक बार फिर से चर्चा तेज हो गई है, क्योंकि सपा की तरफ से उन्हें दोबारा पार्टी में आने का ऑफर दे दिया है लेकिन नरेश अग्रवाल ने इसे ठुकरा दिया है।

नरेश अग्रवाल, आज खुद को भाजपा का कद्दावर नेता मानते हैं लेकिन किसी जमाने में उन्होंने राजनाथ सिंह की सरकार गिराने की बात की थी। घटना 9 अगस्त 2009 की है, अग्रवाल ने सरकार में रहते हुए अपनी ही सरकार के खिलाफ बयानबाजी कर दी। इस पर राजनाथ सिंह ने उन्हें कैबिनेट से बाहर का रास्ता दिखा दिया। उस वक्त एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि उन्हें पार्टी से निकालने का दबाव पिछले कई दिनों से चल रहा था। उनके खिलाफ बयानबाजी भी हो रही थी। बकौल नरेश अग्रवाल, मैं विदेश यात्रा पर गया तो इस बीच कुछ साथियों को लालच देकर किनारे कर दिया गया था।

नरेश अग्रवाल बताते हैं जब हरिद्वार से सेशन चल रहा था तो बीजेपी के आंदोलनों और बयानबाजी के खिलाफ मैंने कहा था कि मुख्यमंत्री के खिलाफ यह काम तो हम भी कर सकते हैं। उन्होंने हरिद्वार से राजनाथ सिंह के खिलाफ संकल्प लिया था। वह कहते हैं कि राजनाथ सिंह के खिलाफ मेरा संकल्प पूरा भी हुआ था, ये बात अलग है कि राजनाथ सिंह का भी संकल्प पूरा हुआ था। लेकिन उनकी सरकार ज्यादा दिनों तक नहीं चल पाई थी। इस बीच नरेश अग्रवाल, मुलायम सिंह यादव की साइकिल पर सवार हो चुके थे।

साल 2017 में नरेश अग्रवाल ने बताया था कि उन्होंने अपने राजनीतिक गुरु के सामने कसम खाई थी कि चाहे कुछ भी हो जाए मैं भारतीय जनता पार्टी में कभी नहीं जाउंगा। यह कसम उन्होंने कांग्रेस पार्टी छोड़कर लोकतांत्रिक कांग्रेस गठन से पहले की थी। लेकिन 2018 में वह समाजवादी पार्टी द्वारा राज्यसभा का टिकट जया बच्चन को देने से इतने नाराज हो गए थे कि वापस भाजपा का रूख कर लिया।

उत्तर प्रदेश की राजनीति में नरेश अग्रवाल  की खासी अहमियत मानी जाती है। करीब 4 दशक की राजनीति में वह सात बार चार अलग-अलग पार्टियों से विधायक रह चुके हैं।

1980 में वह पहली बार हरदोई से कांग्रेस के टिकट पर विधायक चुने गए थे।
1989 में निर्दलीय उम्मीदार बनकर जीते, कांग्रेस के टिकट पर 1991, 93 और 96 में जीते। 1997 से लेकर 2001 तक बीजेपी सरकार में मंत्री रहे।
2002 में सपा के टिकट पर लड़े और 2004 तक मुलायम सरकार में पर्यटन मंत्री रहे।
2007 में सपा के टिकट पर लड़े और जीते भी लेकिन सूबे में बसपा की सरकार बनी तो मायावती के सिपलसिलार बन गए।
2012 में फिर मायावती का साथ छोड़ा और सपा के साथी बन गए। फिलहाल इन दिनों बीजेपी की शरण में हैं।
और जानकारों का मानना है कि अगर यूपी की सियासी हवा को भांपकर वह वापस अपना रूख सपा की ओर कर लें तो इसमें कोई भी आश्चर्य नहीं होगा।