बीजेपी के लिए बुरा साबित हो रहा नया साल,स्वामी सहित 12 नेताओं ने छोड़ी पार्टी

लखनऊ : भारतीय जनता पार्टी ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि उसके साथ भी ऐसा खेल हो जाएगा कि नया साल इस तरह के चौंकाने वाले अनुभव उसके लिए लेकर आएगा। एक महीने बाद विधानसभा चुनाव होने है और एक महीने में बीजेपी के 17 बड़े चेहरे पार्टी को छोड़कर सपा के साथ जा चुके हैं। हालात ये है कि कल से लेकर आज तक कैबिनेट मंत्रियों ने ही पार्टी को अलविदा कह दिया है,जो कि बेहद चौंकाने वाला साबित हो रहा है।भारतीय जनता पार्टी से नेता बागी होकर जा रहे हैं और क्यों नेता पार्टी को अलविदा कह रहे हैं औऱ कौन कौन से वो नेता है जो पार्टी को अलविदा कह विरोधी दल के साथ जा पहुंचे।

 ये नया साल 11दिसंबर से लेकर 12 जनवरी के बीच भारतीय जनता पार्टी के 17 बड़े नेताओं ने पार्टी छोड़ दी है।इनमें योगी के 2 कैबिनेट मंत्रीयों समेत आठ विधायक भी शामिल हैं। भाजपा छोड़ने वाले कई नेता और विधायक समाजवादी पार्टी का दामन थाम चुके हैं। स्वामी प्रसाद मौर्य के इस्तीफे के बाद भाजपा तो बीजेपी में पलायम का दौर सा देखने को मिल रहा है, कल से लेकर अब तक तमाम विधायक पार्टी से टूट गए वहीं कैबिनेट मंत्री दारा सिंह भी पार्टी से जुदा हो गए। स्वामी प्रसाद मौर्य बीजेपी छोड़ने वाले सबसे नए और बड़ा चेहरा हैं। बीजेपी में आने से पहले वो बहुजन समाज पार्टी में थे।2007 से 2012 के बीच वो मायावती की सरकार में मंत्री थे।

जिन विधायकों के बाद बीजेपी में पलायन का दौर चला उनमें बदायूं जिले की बिल्सी सीट से सीट से बीजेपी विधायक राधा कृष्ण शर्मा भी शामिल हों,इसके अलावा सीतापुर से बीजेपी विधायक राकेश राठौर भी अब सपा में शामिल हो चुके हैं। पेशे से व्यापारी राकेश राठौर ने अपना पहला चुनाव साल 2007 में बीएसपी के टिकट पर लड़ा था लेकिन चुनाव हार गए थे 2017 में वो बीजेपी से विधायक चुने गए थे। बहराइच के नानपारा से विधायक माधुरी वर्मा ने भी बीजेपी को छोडड़ सपा का दामन थाम लिया वहीं  संतकबीरनगर से बीजेपी विधायक जय चौबे भी सपा में शामिल हो चुके हैं।इसके अलावा यूपी की बलिया की चिलकलहर विधानसभा से बीजेपी के पूर्व विधायक राम इकबाल सिंह भी सपाई बन गए।जबकि बीजेपी को उनसे ऐसी उम्मीद नहीं थी।

बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता जय प्रकाश पांडे अपने समर्थकों के साथ साइकिल पर जब सवार हुए तो हर कोई हैरान रह गया था। बीजेपी अनुसूचित जाति मोर्चा के प्रदेश महामंत्री अशोक कुमार वर्मा भी भगवा छोड़ सपा के साथ है।बीजेपी के टिकट पर प्रयागराज से चुनाव लड़ चुके शशांक त्रिपाठी भी सपाई हो चुके हैं।पूर्व एमएलसी कांति सिंह, प्रतापगढ़ से बीजेपी के पूर्व विधायक ब्रजेश मिश्रा भी सपा में एंट्री ले चुके हैं। आजमगढ़ से पूर्व सांसद रमाकान्त यादव, पूर्व मंत्री राकेश त्यागी, हेमंत निषाद जो कि आगरा से जिला पंचायत सदस्य हैं वो भी सपा के साथी बन चुके हैं।

इन नेताओं के बीजेपी से जाने के पीछे की वजह अगर देंखे तो राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि स्वामी प्रसाद मौर्य को 2017 विधानसभा चुनाव से पहले डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ही बीजेपी में लेकर आए थे। केशव तब बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष थे और उन्होंने बड़े पैमाने पर गैर यादव ओबीसी नेताओं को पार्टी के साथ जोड़ने का काम किया था हालांकि, जिस ताकत से स्वामी बीजेपी में आए थे, उन्हें उतनी तवज्जो नहीं मिली। योगी कैबिनेट में स्वामी मंत्री तो बने, लेकिन विभाग काफी कमजोर मिला। इस बीच, केशव मौर्य भी डिप्टी सीएम तो बनाए गए, लेकिन योगी से उनके हमेशा मतभेद रहे।योगी और केशव के बीच की लड़ाई कई बार सामने आ चुकी है। ऐसे में स्वामी शिकायत भी किससे करते? यही कारण है कि कुछ नहीं तो यही सही मानकर स्वामी साढ़े चार साल मंत्री बने रहे और अब ऐन चुनावी वक्त पर पार्टी से नाता तोड़ साइकिल पर सवार हो गए।

 बीजेपी से पलायनम का सिलसिला यहीं नहीं थम जाता,चर्चा ये भी है कि मंत्री धर्म सिंह सैनी समेत 12 से ज्यादा विधायक पार्टी छोड़ने की कतार में हैं। इन विधायकों के बीजेपी से टिकट कटने के भी आसार ज्यादा है। भाजपा और बीएसपी छोड़ने वाले ज्यादातर नेताओं ने समाजवादी पार्टी जॉइन की है। इसके पीछे की वजह सियासी जानकार सपा का ताकत के साथ आगे बढ़ना और बीजेपी का पीछे खिसकना मान रहे हैं।वजह चाहे जो भी हो लेकिन योगी के नेतृत्व पर अब सवाल उठने लगे हैं और कहा जा रहा है कि योगी आदित्यनाथ ने सरकार तो बेहतर चलाई लेकिन नेतृत्व नहीं संभाल पाए।