काशी और अयोध्या के नाम पर वोट मांगने वाले सम्मेद शिखर के नाम पर चुप क्यों?

देश का सबसे शांतिप्रिय, शिक्षित और देश के विकास में बखूबी अपनी भागीदारी निभाने वाला जैन समाज आज सडकों पर उतर आया। पिछले दिनों हुए विरोध प्रदर्शन से शायद केन्द्र की मोदी सरकार की नींद टूट नहीं पाई थी इसलिए आज दिल्ली से लेकर मुंबई तक और संसद से लेकर राष्टपति भवन तक आवाज गूंज उठी। जैन समाज के साथ विश्वहिंदू परिषद से लेकर असदउददीन औवैसी भी आ खडे हुए। झारखंड सरकार भी वैकफुट पर आते दिख रही लेकिन मोदी सरकार अभी भी पता नहीं किस इंतजार में बैठी है।

जैन तीर्थस्थल श्री सम्मेद शिखरजी को पर्यटन स्थल में बदलने का फैसला वापस लेने की मांग को लेकर दिल्ली में सबसे बडा विरोध प्रदर्शन हुआ।
दिल्ली में जैन समाज के हजारों लोग प्रगति मैदान पर इकट्ठे हुए और इंडिया गेट की ओर कूच कर गए। झारखंड और केन्द्र सरकार के फैसले के खिलाफ राष्ट्रपति भवन पहुंचकर ज्ञापन भी दिया।
देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में भी लोग के विरोध प्रदर्शन करते दिखई दिए। महाराष्ट्र सरकार में मंत्री एमपी लोढ़ा ने जैन समाज की मांगों का समर्थन किया और बताया कि आज 5 लाख लोग मुंबई की सडकों पर उतरे है। केन्द्रसरकार और झारखंड सरकार को तुंरत समाधान करना चाहिए।

यहां तक कि सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने भी जैन समाज का समर्थन दिया है. उन्होंने ट्वीट कर कहा कि हम जैन समुदाय के लोगों का समर्थन करते हैं और झारखंड सरकार को इस फैसले को रद्द करना चाहिए. इसके साथ ही ओवैसी ने गुजरात के सीएम से अपील की है कि वह आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें.

इससे पहले विश्व हिंदू परिषद की ओर से भी जैन समाज का समर्थन किया गया था. वीएचपी ने झारखंड सरकार से पार्श्वनाथ सम्मेद शिखर जी की मर्यादा, पवित्रता और अनुशासन के मुताबिक तीन सूत्रीय मांगों पर शीघ्र, सख्त और सीधा हस्तक्षेप करने और उसके लिए समुचित उपाय करने का आग्रह किया है.

आइए आपको समझाते है कि आखिर ये पूरा विवाद क्यों उठ खडा हुआ है। और इसके पीछे सरकार की मंशा पर सवालक्यों उठ रहे।
दरअसल, झारखंड के गिरिडीह जिले में पारसनाथ हिल यानी सम्मेद शिखरजी जैन समुदाय का सबसे बड़ा तीर्थ स्थल है. जैन समाज पारसनाथ में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के राज्य सरकार के कदम का विरोध कर रहा हैं. सम्मेद शिखरजी को लेकर देशभर में हो रहे विरोध-प्रदर्शनों की जड़ हाल ही में केंद्र और झारखंड सरकार की ओर से जारी किया गया एक नोटिस है. इसमें सम्मेद शिखरजी को पर्यटन स्थल बनाने की बात कही गई है. जैन समाज के लोगों ने सरकारों की ओर से जारी नोटिस को अपनी धार्मिक भावनाओं पर कुठाराघात बताते हुए इसके विरोध में मोर्चा खोल दिया है.

जैन धर्म के लोग कह रहे हैं कि इसे पर्यटन क्षेत्र बनाया जाता है तो पर्यटकों के आने की वजह से यहां मांस, शराब का सेवन भी किया जाएगा. अहिंसक जैन समाज के लिए अपने पवित्र तीर्थक्षेत्र में ऐसे कार्य असहनीय हैं. सरकार की ओर से जारी की गई अधिसूचना में मछली और मुर्गी पालन के लिए भी अनुमति दी गई है. छोटे उद्योगों को बढ़ावा देने की भी बात कही गई है.

मोदी सरकार पर सवाल उठाने वाले कहते है कि धर्म के नाम पर ये सरकार कई दावे करती है लेकिन खुद धार्मिक क्षेत्रों की पवित्रता नष्ट करने पर उतारू है। अयोध्या और काशी के नाम पर वोट मांगने वाले अब सम्मेद शिखर के नाम पर चुप क्यों हैं। भाजपा के ही कई सांसद और विधायक जैन समाज की मांग को जायज ठहरा रहे हैं लेकिन सरकार को कोई भी मंत्री कुछ भी बोलने को तैयार नहीं दिख रहा।