स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ संत समाज का बड़ा एलान, स्वामी को पाकिस्तान भेजने पर अड़े संत

राम चरित मानस पर स्वामी प्रसाद मौर्य ने बयान क्या दिया कि उनके सियासी करियर के साथ नागरिकता भी खतरे में आ गई..अब तक तो स्वामी का विरोध सिर्फ सियासी दल कर रहे थे लेकिन अब उनका विरोध संत समाज ने पुरजोर तरीके से शुरू कर दिया है…हालात ये है कि अब स्वामी न घर के दिख रहे हैं औऱ न घाट के…क्योंकि पार्टी ने उनके फैसले से पहले ही तौबा कर ली है और अब संतों के फैसले के बाद तो पार्टी की तरफ से टस से मस भी नहीं हो रही…ऐसे में स्वामी प्रसाद को समझ नहीं आ रहा कि आखिर वो जाए तो जाएं कहा…स्वामी प्रसाद मौर्य की स्थिति ऐसी है कि बोले तब भी निशाने पर होंगे और न बोले तो भी निशाने पर वो है ही…दरअसल संतों ने स्वामी को जहां हिंदुस्तान छोड़ने का फरमान सुना दिया है तो वहीं बात न मानने पर शस्त्र उठाने की धमकी भी दी है…संतों का साफ कहना है कि फैसला लागू होना ही चाहिए…बताएंगे कि संतों ने और क्या क्या कहा है लेकिन पहले आप बताएं कि क्या स्वामी प्रसाद मौर्य का बयान श्रीराम का अपमान है…क्या पार्टी को स्वामी के खिलाफ सख्त एक्शन लेना चाहिए।..

 अब बात करते हैं संतों के फैसले की तो सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के रामचरित मानस पर बयान से संत समाज में नाराजगी है। प्रयागराज में विश्व हिंदू परिषद (VHP) के सम्मेलन में आए भैरव दास उर्फ कोतवाल बाबा ने कहा, ”स्वामी प्रसाद मौर्य गाजर-मूली बेचने वाले हैं, उन्हें रामचरित मानस, वेद और पुराण का महत्व कैसे मालूम होगा। उन्हें देश में रहने का कोई अधिकार नहीं है, उन्हें पाकिस्तान भेज देना चाहिए।”कोतवाल बाबा ने धीरेंद्र शास्त्री का विरोध कर रहे लोगों को चेतावनी दी। कहा, हिंदुओं की आस्था और संस्कृति को ठेस न पहुंचाएं

अगर वह अपने को इससे अलग कर लें, तो उनके लिए अच्छा ही होगा।” सम्मेलन में शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ने कहा कि आज धर्मांतरण हमारे धर्म के लिए बहुत बड़ी चुनौती है। हमें अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए सजग रहना चाहिए। हिंदू समाज सहनशील है, धैर्यवान है, लेकिन उसके धर्म के अस्तित्व पर जब संकट खड़ा होगा, तो उसका जवाब देने में भी सक्षम हैं। उन्होंने कहा कि आज हिंदू समाज के अस्तित्व के मठ मंदिरों पर अवैध कब्जे हो रहे हैं। प्रयागराज द्वादश माधव के स्थानों को भी सुरक्षित किए जाने की जरूरत है। संतों का आह्वान करते हुए कहा विश्व हिंदू परिषद हिंदू धर्म और संस्कृति के लिए जो कार्य कर रहा है, उसमें वह अपने मठ और मंदिर छोड़कर उनके साथ निकले और उनके कार्यों में सहयोग प्रदान करें।श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महामंत्री चंपत राय ने कहा कि यह प्रयाग की वही पावन भूमि है जहां पर विश्व हिंदू परिषद की स्थापना के बाद से आज तक हिंदू समाज के सारे विषय के चिंतन और निर्णय इसी धरा पर हुआ है। वर्ष 1966 से लेकर आज तक पूज्य संत इसी पुण्य भूमि पर हिंदू समाज का मार्गदर्शन करते रहे हैं। इसी भूमि से विश्व हिंदू परिषद का संविधान स्वीकार किया गया और जो हमसे भूले भटके छीन लिए गए उनको स्वीकार करके ऐसे समाज को अपने पूर्वजों की जड़ों से जोड़ने का कार्य हम 1966 से लगातार कर रहे हैं। 4 दिन पहले समाजवादी पार्टी के MLC स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी रामचरित मानस को लेकर बयान दिया। मौर्य ने कहा- कई करोड़ लोग रामचरित मानस को नहीं पढ़ते। यह तुलसीदास ने अपनी खुशी के लिए लिखा है। सरकार को रामचरित मानस के आपत्तिजनक अंश हटाना चाहिए या इस पूरी पुस्तक को ही बैन कर देना चाहिए। विश्व हिंदू परिषद माघ मेला शिविर में मंगलवार को मार्गदर्शक मंडल की बैठक हुई। इसमें संतों के विचार, हिंदू धर्म एवं संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्धन से संबंधित अन्य मुद्दों पर संतों ने सुझाव रखे। संतों ने वैदिक सनातन मूल्य, ग्रामीण वनवासी क्षेत्रों में प्रवास, घर वापसी, राष्ट्रीय जनसंख्या नीति, समान नागरिक संहिता, धर्मांतरण, लव जिहाद जैसी हिंदू समाज के समक्ष खड़ी चुनौतियां के विषय में अपने विचार रखे…स्वामी के खिलाफ संतों के यलगार से सियासी हंगामा बरपा हुआ है और स्वामी प्रसाद सियासी भंवर में फंसे दिख रहे हैं उन्हे समझ नहीं आ रहा कि आखिर ऐसा क्या करें जो इस हालात से उऩको छुटकारा मिले