अखिलेश शिवपाल की जोड़ी ने तय कर दिया कि इस सीट पर भाजपा की अब हार पक्की है

उत्तर प्रदेश में 80 लोकसभा की सीटें हैं  हर एक सीट अपने आप में अहम! इतनी अहम कि दिल्ली में बैठी सत्तारूढ पार्टी की हर सीट की गतिविधियों पर पूरी नजर है। मोदी की कुर्सी पर वापसी का सीधा रास्ता यूपी से योगी ही तय कराएंगे और इस राह में रोड़ा अटकाने की फिराक में अखिलेश के साथ मिलकर शिवपाल ने कम से कम एक सीट तो अभी ही भाजपा के जबड़े से छीन ली है।

हम बात कर रहे हैं सुहागनगरी फिरोजाबाद की सीट की। 2019 के लोकसभा चुनाव में यहां से समाजवादी पार्टी को हार का सामना करना पड़ा था। जिसकी सबसे बड़ी वजह थी चाचा शिवपाल की भतीजे अखिलेश से नाराजगी, लेकिन अब उम्मीद जताई जा रही है कि चाचा शिवपाल के समाजवादी पार्टी में शामिल होने से 2024 के लोकसभा चुनाव में यह सीट एक बार फिर समाजवादी पार्टी के खाते में जाएगी। वहीं अखिलेश को शिवपाल का साथ मिलने से सपाई भी खुश नजर आ रहे हैं।

2019 लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने फिरोजाबाद लोकसभा सीट से रामगोपाल यादव के बेटे अक्षय यादव को मैदान में उतारा था। जिनको चुनौती प्रसपा प्रमुख चाचा शिवपाल सिंह यादव ने दी थी, लेकिन मोदी लहर ऐसी चली कि 2019 में समाजवादी पार्टी के वो किले भी दरक गए, जहां सपा ने पिछली बार जीत हासिल की थी। फिरोजाबाद लोकसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी डॉ चंद्रसेन जादौन ने नजदीकी मुकाबले में सपा के अक्षय यादव को शिकस्त दी थी।

भाजपा प्रत्याशी चंद्रसेन जादौन को 485988 वोट मिले हैं, वहीं सपा के अक्षय यादव को 460028 वोट प्राप्त हुए थे। जादौन ने अक्षय को करीब 25 हजार वोटों से हराया था। इस हार की वजह और कोई नहीं अखिलेश के चाचा शिवपाल थे। प्रसपा प्रत्याशी शिवपाल सिंह यादव को सिर्फ 91,011 वोटों मिले थे, लेकिन ये इतने ज्यादा थे कि भाजपा की जीत और सपा की हार सुनिश्चित हो गई।

अगर बात करें  साल 2014 की तो उस  वक्त भी देश में मोदी लहर चली थी, जिसने सभी पार्टियों को धराशायी कर दिया था, लेकिन, फिरोजाबाद की सीट पर मोदी लहर का कोई असर नहीं दिखा था। यहां की जनता ने सबसे कम उम्र के सांसद के तौर पर अक्षय यादव को चुनकर संसद भेजा था।