2024 से पहले सोशल हो रहे अखिलेश कर रहे सोशल इंजीनियरिंग पर फोकस, अखिलेश की सियासी पकड़ करेगी बड़ा उलटफेर

ऩई सपा का स्लोशल सच में सही साबित हो रहा है नई हवा का दावा वाकई झोंके महसूस करवा रहा है और अखिलेश यादव का फ़ॉर्मूला हिट होने के साथ ही सुपरहिट होने के पूरे संकेत दे रहा है अखिलेश यादव के एक एलान ने जहां सत्ताधारियों का सिर दर्द बढ़ा दिया है तो वहीं सियासी माथापच्ची करने के लिए भी बीजेपी को मजबूर कर दिया है अखिलेश यादव को भी पता है कि अगर सोशल इंजीनियरिंग पर जोर नहीं दिया तो फिर पार्टी भी जोर नहीं पकड़ पाएगी ऐसे में अखिलेश ने नई राष्ट्रीय कार्य कारिणी से साफ संकेत दिया है कि आने वाले दिनों में अखिलेश की राजनीति का क्या पहलू होगा और सपा की सियासी दिशा क्या होगी

सोशल इंजीनयरिंग के माहिर अखिलेश यादव ने अब ऐसा दांव चला है कि नड्डा समेत शाह का माथा चकराया हुआ है दरअसल अखिलेश यादव ने पार्टी की 64 सदस्यीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी के गठन में 2024 के लोकसभा चुनाव के हिसाब से समीकरण बैठाने की कोशिश की है सपा की इस कार्यकारिणी में सोशल इंजीनियरिंग फार्मूले पर फोकस किया गया है राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो अखिलेश यादव का ये कदम जातीय संतुलन साधने का प्रयास है

, जो 2024 के लोकसभा चुनावों के से पहले पार्टी को हर मोर्चे पर मजबूत करने की कवायद के तौर पर देखा जा सकता है दरअसल नई राष्ट्रीय कार्यकारिणी में मुस्लिम-यादव समीकरण पर तरजीह देने की बजाए पार्टी ने पूरी तरह से गैर-यादव ओबीसी, दलितों, सवर्ण हिंदुओं के बीच पैठ बनाने की कवायद की है इस कार्यकायारिणी में गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यक भी हैं पार्टी ने शिवपाल यादव और स्वामी प्रसाद मौर्य को राष्ट्रीय महासचिव नामित किया है जबकि शिवपाल यादव हाल ही में पार्टी में लौटे हैं, स्वामी प्रसाद मौर्य 2022 यूपी के यूपी से पहले भाजपा सरकार में मंत्री पद छोड़ने के बाद सपा में शामिल हो गए थे

सोशल इंजीनियरिंग फॉर्मूला सपा की सीटों की संख्या 47 से 111 तक ले जाने में सफल साबित रहा कार्यकारिणी में ब्राह्मण नेता अभिषेक मिश्रा, तारकेश्वर मिश्रा, राजकुमार मिश्रा और पवन पांडेय हैं अन्य दलों से आए कुछ नेताओं को भी अखिलेश यादव ने कार्यकारिणी में जगह दी है रामाचल राजभर, लालजी वर्मा, और त्रिभुवन दत्ता, जो 2022 के चुनावों से पहले सपा में आए, अब सपा के राष्ट्रीय महासचिव हैं

इन नेताओं के अलावा उन्नाव से कांग्रेस की पूर्व सांसद अनु टंडन अब सपा की राष्ट्रीय सचिव हैं वो भी, 2022 यूपी से पहले शामिल हो गई थी जबकि शिवपाल यादव को राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया है ये आने वाले दिनों में स्पष्ट होगा कि पार्टी की रणनीति, विस्तार और चुनावी प्रक्रिया में उनकी क्या भूमिका होगी अब देखना ये है कि अखिलेश यादव ने जो चाल चली है उसका क्या असर देखने को मिलता है औऱ कैसे सपा अपने मकसद में सफलता हासिल करती है