आजम खान ने अखिलेश यादव को पत्रकारों के सामने क्यों टोंका? मैनपुरी और रामपुर के बीच क्या है अंतर?

सपा चीफ अखिलेश यादव और कददावर सपाई चेहरे आजम खान के बीच की जुगलबंदी अक्सर अलग अलग वजहों से सुर्खियों में रहती है। कल जब दोनों नेता एक साथ एक मंच पर दिखाई दिए तो सुर्खियां बननी शुरू हो गईं । पत्रकारेा ंने अलग अलग मुददों पर सवाल पूछने शुरू कर दिए और इसी दौरान अखिलेश के बोलते बोलते आजम ने उन्हें बीच में टांेकते हुए कुछ कह दिया। यही वीडियो अब सोशल मीडिया पर अलग अलग कैप्शन्स के साथ वायरल हो रहा है।

सपा प्रमुख अखिलेश यादव शनिवार को मुरादाबाद में थे। वे सपा के पूर्व विधायक हाजी यूसुफ अंसारी के बेटे की शादी में शामिल होने यहां पहुंचे। उनके साथ आजम खान भी रहे। प्रशासन से प्लेन-लैंडिंग की परमिशन नहीं मिलने पर अखिलेश कार से पहुंचे थे। इससे उनकी नाराजगी साफ दिख रही थी।

दरअसल, अखिलेश ने कहा, लोकसभा उपचुनाव में मैनपुरी के लोगों ने तय कर लिया था कि चाहे जान चली जाए लेकिन वो वोट डालने जरूर जाएंगे। अगर इसी तरह रामपुर के लोग भी तय कर लें कि चाहे जान चली जाएगी तो भी हम वोट डालने जरूर जाएंगे। लोकतंत्र बचाने जाएंगे। तो यहां का परिणाम भी कुछ और होगा।

इतना सुनते ही अखिलेश के बगल में बैठे आजम बीच में बोल पड़े, वहां (मैनपुरी में) गोली नहीं चलती। लेकिन रामपुर में गोली चलती है और लोग मारे जाते हैं। हमने लोगों को मरने से बचाया है। हमें मालूम था जो लोग यहां बैठे हैं, वे मारे जाएंगे।

दरअसल, अखिलेश यादव यूपी में हुए चुनावों में प्रशासन के पक्षपात का मुद्दा उठा रहे थे। उन्होंने कहा कि ये बेईमान पार्टी। यहां तो अधिकारी चुनाव लड़ रहे हैं। अखिलेश बोले- आपने रामपुर का लोकसभा का चुनाव नहीं देखा? रामपुर में पुलिस लगाकर वोटरों को निकलने नहीं दिया। लोकतंत्र में कभी चुनाव में ऐसा होता है इलेक्शन कमीशन की तो जिम्मेदारी ये है कि ज्यादा से ज्यादा लोग वोट डालें।

अखिलेश यादव ने कहा, देश में सरकार का अन्याय लगातार बढ़ता जा रहा है। यह इस वक्त चरम सीमा पर है। कन्नौज में हत्या हुई, तो मैंने जिले के अधिकारियों से कहा कि इस हत्या के दोषी आप हैं। प्रशासन सही समय पर न्याय दे, तो घटनाएं नहीं होंगी। लेकिन, पूरा प्रशासन भाजपा के इशारे पर काम कर रहा है। कई जिलों में तो अधिकारी भाजपा के पदाधिकारी बनकर काम कर रहे हैं।

झांसी में दीपक यादव को झूठा फंसाया गया। रमाकांत यादव के खिलाफ झूठी कार्रवाई की गई। और कितने नाम लूं  कितने उदाहरण दूं? निर्दोष सपा कार्यकर्ताओं और नेताओं पर पुलिस की झूठी कार्रवाई के। भाजपा ने यह जो परंपरा चलाई है, वह लोकतंत्र के लिए खतरा है। आप राजनीतिक विरोधियों पर झूठे मुकदमे लगाएंगे, तो इससे लोकतंत्र कमजोर होगा।

भाजपा वाले सपना दिखा रहे थे कि अडाणी दुनिया के नंबर 1 उद्योगपति होंगे। लेकिन अब सूची में 20 की लिस्ट में भी उनका नाम नहीं है। आखिर ये सरकार कितना झूठ बोलेगी। उनका (अडाणी का) तो सिर्फ वैल्यूएशन घटा है। लेकिन आम लोगों का पैसा डूब गया। हम पूछना चाहते हैं कि मोदी सरकार अपने चहेते उद्योगपति के खिलाफ एक्शन कब लेगी।