आर्थिक संकट के बीच पाकिस्तान में हुआ लोगों का बुरा हाल, ना पेट्रोल बचा ना खाना, पता नहीं आगे क्या होगा?

भारत से अलग होकर 1947 में  एक मुलक बना था नाम था पाकिस्तान अपने जनम से लेकर अब तक पाकिस्‍तान के कई रूप दुनिया ने देखे और हर बार इस मुल्‍क ने न केवल अपने पडोसियों वलिक अपने सहयोगियों को भी निराश ही किया।  जैसे किसी डूबती हुई कंपनी पर कोई पैसा नहीं लगाता हारते हुए घोडे पर कोई दांव नही लगाता वैसे ही अब पाकिस्‍तान को कोई मदद देने को तैयार नहीं है और आज जो खबर सामने आई है उसने पाकिसतान की बरबादी पर आखिरी मुहर भी लगा दी है ।

एक के बाद आर्थिक मुसीबतों में फंसता जा रहा है और ये इस्लामिक देश बड़े संकट में फंस चुका है। कई एक्सपर्ट्स तो ये भी कह रहे हैं, कि पाकिस्तान डिफॉल्ट कर चुका है, बस सरकार की तरफ से इसकी घोषणा नहीं की जा रही है। स्थिति ये है, कि देश के अलग अलग हिस्सों में लोग सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतर रहे हैं और दूसरी तरह पाकिस्तान के नेता, आर्थिक संकट के वक्त एकजुट होने के बजाए आपस में लड़ रहे हैं।

दुनिया की पांचवीं सबसे ज्यादा आबादी वाला देश पाकिस्तान, पिछले कई महीनों से आर्थिक बदहाली से जूझ रहा है और ऋण डिफ़ॉल्ट के बेहद करीब पहुंच गया है, और पाकिस्तान के हालात अगले कुछ हफ्तों में श्रीलंका और वेनेजुएला जैसी हो जाएगी। पाकिस्तान में महंगाई, पिछले 48 सालों के उच्चतम स्तर पर पहुंच चुका है और पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार 3 अरब डॉलर से नीचे 2.97 अरब डॉलर पर पहुंच चुका है। लिहाजा, पाकिस्तान के पास विदेशी सामान खरीदने के लिए भी अब पैसे नहीं बचे हैं। वहीं, देश के कई

हिस्सों में अब पेट्रोल संकट शुरू हो गया है और ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिति पेट्रोल पंपों पर लोगों की लंबी लंबी लाइनें लग रही हैं। पाकिस्तानी मूल के राजनीतिक विश्लेषक साजिद तरार ने एक चैनल से बातचीत करते हुए कहा है, कि पाकिस्तान काफी पहले डिफॉल्ट कर चुका है और अब पाकिस्तान में भीषण हालात देखे जाएंगे हालांकि, पाकिस्तान ने जरूर कहा है, कि उसने आईएमएफ की सभी शर्तों को मान लिया है, लेकिन इसके बाद भी आईएमएफ की तरफ से पाकिस्तान को 1.1 अरब डॉलर का लोन नहीं दिया गया है।

पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट्स में सूत्रों के हवाले से कहा गया है, कि पाकिस्तान आईएमएफ की बिजली बिल बढ़ाने की शर्त पर राजी नहीं हुआ, लिहाजा आईएमएफ और पाकिस्तान के बीच कर्ज की किश्त पर कर्मचारी स्तर पर वार्ता फेल हो गई है। यानि, पाकिस्तान को तत्काल कोई राहत नहीं मिलने वाली है और दोस्त देशों ने भी पाकिस्तान को और लोन देने से मना कर दिया है। एक्सपर्ट्स का कहना है, कि अगर आईएमएफ से पाकिस्तान को 1.1 अरब डॉलर का लोन मिल भी जाता है, तो भी पाकिस्तान डिफॉल्ट होने से नहीं बच पाएगा, क्योंकि उसे 20 अरब डॉलर से ज्यादा कर्ज का भुगतान करना है। पाकिस्तान की राजनीति में भी फूट पाकिस्तान की मुसीबत ये है, कि प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की सरकार और अपदस्थ पूर्व नेता इमरान खान के बीच की लड़ाई ने देश को दो टुकड़ों में बांट दिया है। पाकिस्तान में इस साल सितंबर- अक्टूबर में चुनाव होने हैं, लेकिन पाकिस्तान के पास चुनाव करवाने के लिए पैसे नहीं बचे हैं।

शहबाज सरकार का कहना है, कि चुनाव करवाने के लिए कम से कम 4 लाख पुलिसवालों की जरूरत होगी, और पाकिस्तान में अधिकतम डेढ़ लाख पुलिसवालों को ही चुनावी ड्यूटी पर तैनात किया जा सकता है और अगर चुनाव करवाना है, तो सेना को शामिल करना होगा, मगर इमरान खान सेना को शामिल करने के नाम पर ही आगबबूला हो रहे हैं। पाकिस्तान में इसी महीने पेशावर में भीषण बम धमाका हुआ है, जिसमें 100 से ज्यादा लोग मारे गये हैं, लिहाजा पाकिस्तान के लिए शांतिपूर्वक चुनावा करवाना एक बड़ी चुनौती होने वाली है।

डीजल और गैस की भारी किल्लत पाकिस्तान में डीजल और गैस की किल्लत ने आम लोगों को काफी परेशान कर दिया है। सरकार ने पिछले महीने डीजल की कीमतें बढ़ाकर 262 रुपये प्रति लीटर कर दी है, जिससे कई लोगों को आने-जाने में कटौती करनी पड़ी है। वहीं, कराची के एक व्यस्त हिस्से में स्थिति एक गैस स्टेशन, टोटल पार्को पाकिस्तान लिमिटेड खाली पड़ा है। इस गैस स्टेशन के मैनेजर इरफान अली ने कहा, कि जब पेट्रोल की कीमत 200 रुपये प्रति लीटर थी, तो एक दिन में 15,000 लीटर बेचा जाता था, लेकिन अब पेट्रोल 250 रुपये प्रति लीटर हो चुकी है और अब लोग खरीदने की स्थिति में ही नहीं है ।