संघमित्रा मौर्य ने धर्मेन्‍द्र यादव के लिए आसान कर दी राह! बदायूं सीट के लिए सपा ने नहीं करेंगी दावेदारी

अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए यूपी में गहमागहमी कितनी तेज हो गई है इसका अंदाजा आपको ये खबर देखने के बाद लग जाएगा समाजवादी पार्टी में जितनी सक्रियता इस वक्‍त नजर आ रही है उतनी तो विधानसभा के चुनाव से पहले भी नहीं दिखाई दी थी.. कारण साफ है कि 2024 की ताकत तय करेगी कि 2027 का झुकाव किधर जाएगा इस बीच एक सीट सपाईयों से लेकर भाजपाईयों तक के लिए चर्चा का विषय बन गई है । ये सीट है यूपी की बदायूं जहां पर अजग गजब स्थिति नजर आ रही है ।

उत्तर प्रदेश में बीते कुछ दिनों से समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य  अपने बयानों को लेकर सुर्खियों में हैं. उनके बयान के बाद बदायूं से बीजेपी  सांसद संघमित्रा मौर्य की भी मुश्किलें बढ़ गई थी. बीजेपी सांसद ने पहले अपने पिता के बयान का समर्थन किया और फिर उनके बयान से खुद को अलग कर लिया. लेकिन अब स्‍वामी प्रसाद मौर्य ने बेटी के टिकट को लेकर एक चौंकाने वाला खुलासा किया है.

इस समय वो बीजेपी की सांसद हैं तो उनसे जुड़े सवाल का जवाब भी वही देंगी. मैं इस समय सपा में हूं और आप सपा के बारे में बात करिए. जब मैं बीजेपी में गया था तो उन्हें टिकट मैंने ही दिलवाया था. वो हारने वाली सीट हमको दी गई थी लेकिन मैं अपने दम पर जीता था ।

ऐसे में अगर इस बार बीजेपी संघमित्रा मौर्य को अपना प्रत्याशी नहीं बनाती है तो उनके लिए मुश्किलें खड़ी हो जाएंगी. दरअसल, बदायूं से पिछले बार सपा के टिकट पर अखिलेश यादव के चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव चुनाव लड़े थे. इस बार भी उनका ही चुनाव लड़ने की संभावना है. धर्मेंद्र यादव के बदायूं से चुनाव लड़ने पर उन्हें बीजेपी के बाद सपा से भी टिकट मिलना मुश्किल नजर आता है. हालांकि अभी तक इसपर कोई अधिकारिक घोषणा नहीं हुई है.

बीते दिनों संघमित्रा मौर्य ने बीजेपी के टिकट पर ही बदायूं से चुनाव लड़ने का दावा किया था. तब उन्होंने कहा था, “मैं आगामी लोकसभा चुनाव में बीजेपी के टिकट पर ही बदायूं से दोबारा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही हूं. अगला लोकसभा बदायूं से ही लड़ेंगे. बदायूं में हम लगातार बने हुए हैं, लगातार काम कर रहे हैं.”

ऐसे में पिता और पुत्री के बयानों को समझें तो साफ संकेत मिलता है कि संघमित्रा का भाजपा छोडने का कोई प्‍लान नहीं है और स्‍वामी प्रसाद मौर्य सपा की रणनीति के आधार पर ही आगे बढते रहेंगे । अखिलेश ने ल गातार स्‍वामी का कद पाटी्र में काफी बढा कर दिया हैा एमएलसी बनाने के साथ साथ उन्‍हें पार्टी का महासचिव भी बना दिया गया है ऐसे में अब उनके बगावत करने का सवाल खडा ही नहीं होता और संघमित्रा खुद भाजपा के टिकट पर ही चुनाव लडने की तैयारी करती दिख रहीी हैं। अगर ऐसा ही चुनाव तक रहता है तो धर्मेन्‍द्र यादव को ही फिर से बदायूं से अखिलेश यादव चुनाव लडाएंगे और फिर समीकरणों के आधार पर कडी टक्‍क्‍र देखने को मिल सकती है ।