इधर मायावती बीजेपी पर साधे रहीं मौन उधर बीजेपी ने ही बहनजी के साथ कर दिया बड़ा खेल, खबर बहुत देर में मिली !

सियासत में न कोई दुश्मन होता है और न दोस्त पक्का होता है अवसर मिलने पर दोस्त बागी हो जाता है और दुश्मन गले लग जाते हैं उत्तर प्रदेश की सियासत इस लोकोक्ति का सबसे बड़ा उदाहरण और सबूत है और अब इसी को जहन में रखकर बीजेपी ने खेल शुरू कर दिया है और खेल मायावती के साथ हो गया है जो मायावती बीजेपी के नाम पर हर मुद्दे पर मौन साधकर बैठी थी अब वो एक ऐसी चिंता से घिरीं हैं जिसका न तो कोई उपाय मिल रहा है और न कोई सुझाव दे रहा है

दरअसल जो बीजेपी नेताजी के निधन के बाद अखिलेश यादव को नेताजी के नाम पर घेरने में लगी थी अब वही काम बीएसपी के साथ हो रहा है और बीएसपी को समझ नहीं आ रहा कि आखिर ऐसा क्या किया जाए जो वोटबैंक भी बच जाए और 2024 में इज्जत भी बच जाए मायावती तो खामोशी का ऐसा सिला मिलेगा किसी ने सोचा भी न था बातएंगे कि बीजेपी ने कैसे खेल किया तो वहीं उसका आगामी प्लान क्या है वो भी बताएंगे लेकिन पहले आप बताएं कि क्या मायावती अपना वोटबैंक बचा पाएगी और क्या मायावती आगामी लोकसभा चुनाव में अपना खाता खोल पाएंगी या नहीं आपकी राय क्या है हमें कमेंट करके जरूर बताएं अब बात करते हैं असल मुद्दे की तो नेताजी मुलायम सिंह यादव को पद्दम विभूषण देने वाली बीजेपी अब बीएसपी के दलित चिंतक कांशीराम की तारीफों के पुल बांध रही है

दरअसल बीजेपी 2024 से पहले यूपी में दलितों के बीच अपनी पैठ बनाने में जुटी है बीजेपी के रणनीतिकारों का मानना है कि मायावती के कमजोर होने की वजह से बीजेपी को दलितों के बीच जाने का मौका मिला है और वो इसको गंवाना नहीं चाहती है  यही वजह है कि कांशीराम की जयंती के मौके पर पहली बार बीजेपी के नेताओं ने उनकी तारीफ की सूत्रों का ये भी कहना है कि बीजेपी मुलायम की तरह ही कांशीराम को लेकर बड़ा दांव खेल सकती है इस साल की शुरुआत में समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव को मरणोपरांत पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था बीजेपी ने बीएसपी के संस्थापक कांशीराम को उनकी 89वीं जयंती पर याद किया और उन्हें श्रद्धांजलि दी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए बुधवार को ट्वीट किया, “दलितों, वंचितों व शोशितों के समग्र उत्थान हेतु आजीवन संघर्ष करते रहे जनप्रिय राजनेता कांशी राम की जयंती पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि  सूत्रों की माने तो कांशीराम को लेकर भी सरकार मुलायम की तरह ही बड़ा दांव खेल सकती है ये संभवत: पहला अवसर था जब बीजेपी के प्रमुख नेताओं ने दलित विचारक को श्रद्धांजलि अर्पित की उन्होंने बीएसपी का गठन करने के बाद उसे उत्तर प्रदेश में एक राजनीतिक पॉवर बना दिया कांशीराम का 2006 में निधन हो गया था बीएसपी की राजनीतिक उत्तराधिकारी मायावती बार-बार उनके लिए भारत रत्न की मांग करती रही हैं अब बीजेपी सूत्रों का कहना है कि भारत रत्न की बजाए मुलायम की तरह कुछ अलग तरह से सम्मान पार्टी उनको दे सकती है

 बीएसपी के प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल ने कहा कि, ‘भाजपा की विचारधारा कांशी रामजी के विपरीत है सिर्फ नमन करने से कुछ नहीं होगा, उनकी विचारधारा को भी अपनाना होगा वहीं बीजेपी सूत्रों ने कहा कि पार्टी उन नेताओं का “सम्मान” करती है जिन्होंने सामाजिक-राजनीतिक क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है यूपी बीजेपी के प्रवक्ता कहते हैं कि, ‘गरीबों और दलितों के उत्थान के लिए बहुत काम करने वाले कांशी रामजी को याद करने में कुछ भी गलत नहीं है आरएसएस ने भी हाल ही में हरियाणा में हुई अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में मुलायम सिंह को श्रद्धांजलि दी थी कांशीराम और बीजेपी के मिलन का इतिहास पुराना रहा है बीजेपी ने तीन बार बीएसपी को यूपी में सरकार बनाने में मदद की थी विश्लेषकों का कहना है कि बीजेपी का कांशीराम का आह्वान दलितों के बीच अपनी पहुंच को गहरा करने के लिए एक और कदम है

2014 में नरेंद्र मोदी की जीत के बाद से ही बीजेपी ने दलितों की तरफ फोकस किया है बीजेपी आरएसएस नेता भाऊराव देवरस के दृष्टिकोण को अपना रही है, जो हमेशा राजनीतिक प्रतिबद्धता के बावजूद नेताओं को याद रखने की वकालत करते थे 2014 में सत्ता में आने के बाद बीजेपी ने लगातार दलित आइकन, बीआर अंबेडकर को याद किया है और उनकी तारीफ की है इसको नई बीजेपी की नई रणनीति कह सकते हैं दलितों को एकजुट करने के लिए इसको एक राजनीतिक संकेत के तौर पर देख सकते हैं ये यहीं तक सीमित नहीं रहेगा आने वाले समय में अभी और इस तरह के कदम आपको देखने को मिल सकते हैं अब देखना ये है कि जो दांव बीजेपी चलकर मायावती को कमजोर करने की तैयारी कर रही है क्या मायावती इसको रोकने में सफल हो पाती हैं या फिर मायावती लंबे अरसे से हर मुद्दे पर मौन दिखती है आगे भी वहीं रवैया अपनाती है