आखिर कौन है ये नेता जो हमेशा रहता है अखिलेश के इर्दगिर्द, जो कुर्सी चाचा को नहीं मिली वो इस नेता को अखिलेश ने की ऑफर !

उम्मीद की जा रही थी कि चाचा शिवपाल सिंह को अखिलेश यादव अब सियासी तौर पर प्रोजेक्ट करेंगे और उम्मीद पूरी भी होती दिख रही है लेकिन साथ ही साथ एक और नेता है जिसको अखिलेश यादव आजकल हर वक्त अपने साथ रखते हैं जिस तरह से 2012 से लेकर 2019 तक राजेद्र चौधरी अखिलेश यादव की हर तस्वीर का हिस्सा होते थे ठीक उसी तरह अब ये नेता अखिलेश यादव के साथ हर राज शरीक करता है और नाम है अवधेश प्रसाद अचानक अवधेश को इतनी तवज्जों मिलने से सियासी जानकार भी हैरान है विधानसभा में जिस सीट पर आजम खान बैठते थे वो कुर्सी चाचा शिवपाल को लेकर अखिलेश यादव ने अवधेश प्रताप को ऑफर कर दी जिस हवाई जहाज में अखिलेश के अलावा उनसे सबसे खास जाते थे उसी हवाई जहाज में अब अवधेश प्रताप अखिलेश यादव के साथ घूमते हैं राष्ट्रीय अधिवेशन हो या कार्यकारिणी की बैठक, पार्टी कार्यालय का कोई काम हो या कार्यकर्ताओं से गेट टू गेदर का मौगा अवधेश प्रसाद हर मौके पर साए की तरह अखिलेश यादव के साथ रहते हैं

ऐसे में सवाल किया जा रहा है कि क्या अवधेश प्रताप को पार्टी कोई बड़ा पद देने वाली है या फिर अवधेश प्रताप को लेकर कोई प्लान बी तैयार किया जा रहा है ऐसा नहीं है कि अखिलेश और अवधेश की नजदीकी नई है 2017 चुनाव से पहले का सपा परिवार का झगड़ा याद करिए तब भी अवधेश अखिलेश के साथ खड़े थे और आज भी वो उनके साथ साए की तरह रहते हैं वैसे तो अवधेश की चर्चा हो रही थी लेकिन समाजवादी पार्टी ने शुक्रवार को अपने ट्विटर हैंडल से राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में जाते हुए अखिलेश यादव की ली एक सेल्फी शेयर की हवाई जहाज के भीतर की इस सेल्फी में सपा अध्यक्ष के साथ पार्टी के महासचिव शिवपाल यादव और अवधेश प्रसाद साथ में बैठे दिख रहे हैं कोलकाता में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में भी सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अवधेश प्रसाद को मंच पर अपने बगल में बैठाया  इसके बाद से ये चर्चा शुरू हो गई है कि सपा में पूर्व मंत्री और मिल्कीपुर से विधायक अवधेश प्रसाद को इतनी तवज्जो क्यों मिल रही है? अवधेश प्रसाद सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के खास माने जाते हैं

अखिलेश ने उन्हें इस बार राष्ट्रीय कार्यकारिणी में राष्ट्रीय महासचिव बनाया है नौ बार के विधायक और पांच बार के मंत्री अवधेश प्रसाद को अखिलेश ने विधानसभा में भी अपने बगल की सीट देकर तवज्जो दी है 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले जब अखिलेश यादव ने उनके बेटे अजीत प्रसाद को अमेठी के जगदीशपुर से सपा का टिकट दिया था तब शिवपाल ने प्रदेश अध्यक्ष बनते ही उनका टिकट काट दिया बाद में अवधेश ने मुलायम से मिलकर बेटे का टिकट वापस पाया था अवधेश प्रसाद 1977 से ही सपा के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के साथ रहे हैं जनता पार्टी की सरकार में जब मुलायम मंत्री बने थे तो अवधेश प्रसाद उनके खास थे कहा जाता है कि 1989 में जब मुलायम पहली बार सीएम बने तो अवधेश प्रसाद ने विधायकों को जुटाने में बड़ी मदद की थी

मुलायम ने उन्हें राष्ट्रीय सचिव बना दिया था इसके बाद से उनका कद सपा में लगातार बढ़ता रहा कहा जा रहा है कि पासी जाति से आने वाले अवधेश सपा की दलितों को जोड़ने की मुहिम का हिस्सा हैं सपा अध्यक्ष को पता है कि अवधेश प्रसाद ऐसी जाति से आते हैं, जो दलितों में भी अपना अलग दमखम और असर रखती है पूर्वांचल, अवध और बुंदेलखंड के कई जिलों में उनका असर दिखता है जहां कई विधानसभा और लोकसभा सीटों पर पासी निर्णायक भूमिका में हैं दरअसल सपा पिछले विधानसभा चुनावों के पहले से ही उसी फॉर्म्युले पर काम कर रही है, जिस पर चलकर कभी बीएसपी के संस्थापक कांशीराम ने अपनी पार्टी खड़ी की थी गैर यादव पिछड़ों के साथ दलितों की अलग-अलग बिरादरी को साथ जोड़कर नया समीकरण तैयार हो रहा है इसकी शुरुआत अप्रैल 2021 में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अंबेडकर जयंती पर बाबा साहेब वाहिनी का गठन करके की अब समाजवादी बाबा साहेब वाहिनी पूरे प्रदेश में दलितों को जोड़ने की मुहिम चला रही है हाल ही में बाबा साहेब वाहिनी ने पूरे प्रदेश में सपा दफ्तरों में बीएसपी संस्थापक कांशीराम की जयंती मनाई

सपा के प्रदेश कार्यालय में भी कांशीराम को याद किया गया अंबेडकर जयंती पर अखिलेश यादव ने बाबा साहेब के चित्र के सामने दीप जलाकर दलित दिवाली मनाने की भी शुरुआत की है इस बार राष्ट्रीय कार्यकारिणी में भी छह दलितों को जगह दी गई है 40% से ज्यादा चेहरे गैर यादव ओबीसी हैं चूंकि इनमें पासी सबसे ज्यादा एकजुट और मुखर रहते हैं, इस वजह से पुराने नेता अवधेश प्रसाद को ज्यादा ‘सम्मान’ से नवाजा गया है तर्क जो भी दिया जाए लेकिन अखिलेश के साथ अवधेश की जोड़ी जमती दिख रही है और इसीलिए अब अवधेश को लेकर तरह तरह के सवाल किए जा रहे हैं