पालकी एंबुलेंस बनी पहाड़ी क्षेत्र के लिए वरदान जिलाधिकारी ने लोगों की समस्या को कर दिया खत्म ?

अक्सर पहाड़ों से मरीजों की ऐसी तस्वीरें सामने आतीं हैं जिनको देखने के बाद दिल दहल जाता है अस्पतालों से दूर दराज वाले इलाकों में रहने वाले लोगों की समस्या को जब एक जिलाधिकारी ने देखा तो फिर ऐसा तोड़ निकाला जिसने सारी समस्याओं का हल एक झटके में कर दियाऔर अब लोग जहां जिलाधिकारी की तारीफ कर रहे हैं तो वहीं लोग अब राहत महसूस कर रहे हैं !

दरअसल अब तक आपने पालकी में दुल्हनों को जाते देखा होगा लेकिन अब पालकी से मरीजो को अस्पतालों तक पहुंचाने का काम किया जा रहा है पालकी एंबुंलेंस सुविधा को जब से शुरू किया गया तब से इलाज न मिलने की वजह से होने वाली कैजुअल्टीस में कमी देखी जा रही है ये सुविधा पश्चिम बंगाल के अलीपुरद्वार में शुरू की गई है जिलाधिकारी सुरेंद्र कुमार मीँणा ने बक्सा इलाके के सुदूर क्षेत्रों के लोगों की समस्या को देखते हुए ये पहल की जो कि बिल्कुल निशुल्क है जिलाधिकारी ने पहले रोडमैप तैयार किया और फिर उन जगहों को चिन्हित किया जहां गाड़ियां नहीं जा सकती और उसके बाद फिर इस पालकी एंबुलेंस को हरी झंडी दिखाई दरअसल पर्यावरण मंत्रालय की तरफ से बक्सा टाइगर रिजर्व में फोन टावर और सड़क निर्माण की मनाही की है !

 ऐसे में जो गांव इस रिजर्व के क्षेत्र में आते हैं उनको परिवहन की तमाम परेशानियों का सामना करना पड़ता है सबसे ज्यादा दिक्कत बुजुर्ग और गर्भवती महिलाओं को लेकर होती थी पहले बुजुर्गों और गर्भवती महिलाओं को बोरे में रखकर अस्पताल तक लेकर जाना पड़ता था ऐसे में जिलाधिकीरी सुरेंद्र कुमार मीणा को जब यहां तैनाती मिली तो उन्होंने इस योजना के बारे में पूरा रोडमैप तैयार किया जिलाधिकारी की माने तो जब ये तस्वीरें मैने देखीं तो मेरा दिल दहल गया था ऐसे में गांव वालों से पहले बात की गई और फिर काम शुरू किया गया खास बात ये है कि इस एबुंलेंस को ले जाते वक्त साथ में एक ट्रेंड नर्स और गांव की दाई को भेजा जाता है ताकि किसी भी तरह की इमरजेंसी में तुरंत इलाज शुरू किया जा सके पालकी को पक्की सड़क तक पहुंचाया जाता है और सड़क से एंबुलेंस के द्वारा मरीज को अस्पताल ले जाया जाता है जिला प्रशासन इस सेवा को परिवार नियोजन संघ की मदद से चला रहा है और आगे भी इस सेवा के जारी रहने की बात कही गई है !