बस्ती लोकसभा सीट पर होगा 2024 में द्वंद युद्ध !

लोकसभा चुनावों में वैसे तो सालभर का वक्त है लेकिन नफा नुकसान का आंकलन और सियासी समीकरणों को परखने का दौर जारी है समाजवादी पार्टी हर सीट पर हांथ मार रही है तो बीजेपी के लिए कई सीटों पर अब हालात करो या मरो के बन रहे हैं जिसमें बस्ती लोकसभा सीट भी शामिल है वैसे तो बस्ती में 2014 और 2019 में बीजेपी ने जीत दर्ज की है लेकिन 2022 विधानसभा चुनावों ने बीजेपी के लिए खतरे का संकेत और वोटबैंक के सपा में ट्रांसफर होने का संकेत दिया जिसके बाद से बीजेपी के मौजूदा सांसद भी पसीना छोड़ रहे हैं आखिर विधानसभा चुनावों में ऐसा क्या हुआ जो बीजेपी के लिए हालात इतने बुरे और सपा के लिए आसान हो गए !

2022 में हुए यूपी के विधानसभा चुनाव के परिणाम ने बीजेपी की चिंताओं को बढ़ा दिया बस्ती लोकसभा की 5 में से 4 विधानसभा सीटों पर बीजेपी को सपा ने बुरी तरीके से हराया सपा के बस्ती सदर से महेंद्र नाथ यादव, कप्तनागंज से अतुल चौधरी, रुधौली से राजेंद्र चौधरी और महादेवा सीट से दूधराम ने जीत दर्ज की थी !बीजेपी को भले ही बहुमत मिला हो लेकिन बस्ती में बीजेपी बुरी झटका लगा था अब बीजेपी के सामने सवाल वोटबैंक क वापस हासिल करने का है तो वहीं सांसद के सामने अपनी सीट बचाने की चुनौती है ऐसे में ग्राफिक्स के जरिए जानते हैं सामाजिक तानाबान क्या कहता है और किस वर्ग का वोटबैंक यहां निर्णायक साबित होता है !

बस्ती सीट के जातीय समीकरण की बात करें तो यहां दलितों की आबादी 4 लाख 23 हजार है सामान्य वर्ग की संख्या यहां 4 लाख 15 हजार के करीब बताई जाती है बस्ती लोकसभा सीट पर ओबीसी की आबादी की संख्या करीब 7 लाख के आस पास है साथ ही अन्य मतदाताओं की संख्या करीब 1 लाख 50  हजार के करीब है !

सियासी जानकारों का मानना है कि विधानसभा चुनाव में बीजेपी की हार का कारण उसी के नेताओं की इच्छा पूर्ति के चलते ऐसा हुआ बीजेपी नेताओं में पद हासिल करने और टिकट न मिलने के बाद मनमुटाव का फायदा सपा को मिला और उसका नतीजा ये रहा कि जो वोटबैंक लोकसभा चुनाव में बीजेपी के साथ था वो विधानसभा चुनाव में सपा के खाते में आ गया ऐसे में बीजेपी में इस बार उम्मीदवार बदलने की सुगबुगाहट सुनाई दे रही है ताकि जीत को पक्का किया जा सके तो वहीं सपा की चालबाजियों और उम्मीदवार के एलान को भी बीजेपी परखना चाहती है उसी के बाद अपने पत्ते साफ करने की रणनीति बना रही है देखना ये है कि जो खतरा बीजेपी भांप रही है क्या वो उसे कम कर पाएगी या फिर विधानसभा चुनाव वाली तस्वीर फिर से देखने को मिलेगी !