मंदिर की रखवाली करता है मोहम्मद अली, देवी के इशारे के बिना नहीं खिली कोई कली  !

मजहब के नाम पर हंगामा देखा है क्या किसी मुस्लिम को हिंदू देवी का दीवाना देखा है  आज गंगा जुमनी तहजीब की तस्वीर दिखाएंगे, जिस दरबार में मुस्लिम माथे टेकते हैं उस देवी से मिलवाएंगे हर कण में माता का आशीर्वाद समाया रहता है, हर मुराद पूरी हो इस चाहत में परसाद चढ़ाया जाता है ये मंदिर सिर्फ मंदिर नही है बल्कि इसकी ऐसी कहानी है जो धर्म के ठेकेदारों का मुंह चिढा देती है कहने को मंदिर और मस्जिद के नाम पर हर रोज बवाल सुनने को मिलता है लेकिन इस मंदिर की कहानी अपवाद साबित होती है उत्तर प्रदेश का ये मंदिर हर तरफ अब चर्चाओं में छाया हुआ है दरअसल उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले का ये मंदिर है, जहां संप्रदायिक सौहार्द और एकता की मिसाल इबादत से लिखी जा रही है !

बहराइच जिले के बावड़ी थाना क्षेत्र के घुरहरीपुर गांव में स्थित घूर देवी मंदिर सभी धर्मों के लोगों को एक ही धागे में बांधने का काम कर रहा है  इस मंदिर पर हिंदू महिलाओं के साथ-साथ मुस्लिम महिलाएं भी पूरी श्रद्धा के साथ मां घूर देवी की पूजा अर्चना करती हैं जनपद बहराइच के महसी विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत माता घूर देवी का प्राचीन मंदिर सभी धर्म के लोगों के लिए आस्था का केंद्र बना हुआ है यहां नवरात्रि समेत अन्य दिनों में भी मेले का आयोजन होता है कई प्रकार के मांगलिक कार्यक्रम भी यहां संपन्न होते हैं  इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता ये है कि मंदिर की देख-रेख और इसकी अध्यक्षता मुस्लिम समुदाय के मोहम्मद अली द्वारा की जाती है बताया जा रहा है कि ये मंदिर काफी जर्जर अवस्था में था, लेकिन जब से मोहम्मद अली ने मंदिर की अध्यक्षता संभाली उसके बाद से मंदिर का जीर्णोद्धार कर मंदिर का कायाकल्प करवाया है हजारों की संख्या में श्रद्धालु मंदिर पहुंचकर पूजा पाठ कर मन की मुरादे मांगते हैं वही लोगों की माने तो नवरात्रि के दिनों में दोनों समुदाय के लोग इस मंदिर पर पहुंचकर पूजा अर्चना करते हैं  हिंदू रीति रिवाज के साथ मुस्लिम समुदाय की महिलाएं भी मां घूर देवी की पूजा करती दिखाई देती हैं !

ये मंदिर जिले में गंगा जमुनी तहजीब का एक ऐसा उदाहरण है जो पूरे देश में बहुत कम देखने को मिलता है मंदिर में पूजा करने आई मुस्लिम महिलाओं ने बताया कि आस्था अपने मन की संतुष्टि और विश्वास को लेकर होती है जिसको ईश्वर शक्ति पर विश्वास होता है, वो उसकी पूजा और उपासना करता है मुस्लिम महिलाओं ने बताया कि जब अपनी मन्नत को पूरा करने के लिए हिंदू समुदाय के लोग दरगाह शरीफ पर चादर चढ़ाने से नहीं कतराते हैं तो हम अपनी मुराद पूरी करने के लिए मंदिर में पूजा कर रहे हैं, तो क्या गलत है? मंदिर में पूजा करने आई क्षेत्र की कई मुस्लिम महिलाओं ने कहा कि अपनी मनौती पूरी करने के लिए मां के मंदिर में हम लोग पूजा अर्चना करने आते हैं घूर देवी मंदिर को संप्रदायिक सौहार्द का प्रतीक बनाने के पीछे सबसे बड़ा हाथ मंदिर के प्रबंधक मोहम्मद अली का हैं, मोहम्मद अली ने सांप्रदायिक सद्भाव की मिसाल पेश करना शुरू किया जब बौडी क्षेत्र के घुर देवी मंदिर का जीर्णोद्धार करने का फैसला किया था  !

मंदिर के प्रबंधक मोहम्मद अली ने गांव से लेकर शहर तक चंदा इकट्ठा कर मंदिर को भव्य रूप से बनवाया, मंदिर में अयोध्या की हनुमानगढ़ी की तर्ज पर बजरंगबली का अद्भुत मंदिर भी बनवाया है इस मंदिर की चर्चा पूरे प्रदेश में होती है और नवरात्रि में तो खासकर ये सुर्खियों में आ जाता है क्योंकि देवी मां की पूजा करने के लिए दूर दूर से लोग आते हैं और अपनी मन्नत पूरी होने पर अलग अलग तरह के प्रसाद चढ़ाते हैं !