यूपी के इस जिले की पब्लिक को रास न आया ट्रिपल इंजन का वादा! सपा ने किया भाजपा का सूपड़ा साफ!

आपको याद होगा जब  विधानसभा चुनाव  में भाजपा ने डबल इंजन सरकार का ख्याब सजाया थापब्लिक ने इस ख्वाब को हकीकत का जामा भी पहनाया बात जम गई, सरकार बन गई। कामयाबी का यह फार्मूला निकाय चुनाव आते-आते ट्रिपल इंजन के नारे में बदल गया था। डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक इटावा आए थे और ट्रिपल इंजन सरकार के फायदे गिनाकर कमल खिलाने की अपील करके  गए थे।

भाजपा ने हर तरह की रंणनीति से चुनावी रथ दौड़ाया लेकिन शिवपाल सिंह यादव की ताकत के आगे किसी भी नेता की एक न चली!  मतपेटिकाएं खुलीं तो इटावा सभी छह सीटों पर सूपड़ा साफ हो गया। शिवपाल सिंह यादव और रामगोपाल यादव पूरे चुनाव के दौरान इटावा और आसपास के क्षेत्रों में दिन रात एक किए रहे। दोनों सालो ंपर एक साथ वोट मांगते और चुनावी प्रचार करते भी नजर आए तो जसवंतनगर क्षेत्र में शिवपाल सिंह यादव के बेटे अंकुर यादव ने बखूबी कमान संभाली।

इटावा जिले की सपा ने तीनों नगर पालिका परिषद में परचम फहराया तो दो नगर पंचायतों में निर्दलीय विजयी हुए और एक नगर पंचायत बसपा के खाते में गई। इनमें सदर सीट सपा के लिए नाक का सवाल बन गई थी। सदर सीट के नतीजों के आईने में पार्टी से ज्यादा चेहरे की चमक दिखी।  भाजपा का सशक्त चेहरा सामने आने पर सपा को इटावा में इदरीश अंसारी  की पुत्रवधु पर दांव खेलना रिस्की लगा। रातों-रात  उनका टिकट काटकर संटू की पत्नी ज्योति गुप्ता पर भरोसा जताया गया। पार्टी के जनाधार के साथ-साथ संटू के पिछले कार्यकाल की उपलब्धियों के मद्देनजर उनके निजी प्रभाव को भुनाने के नजरिये से सपा टिकट बदलने का फैसला उचित मान रही थी। लेकिन इसी बीच इदरीश अंसारी द्वारा बगावती तेवर दिखाते हुए बसपा से चुनाव मैदान में कूदने के एलान से सपा रक्षात्मक मुद्रा में आ गई। शिवपाल सिंह यादव ने इसे संजीदगी से महसूस किया और डैमेज कंट्रोल के लिए ख्ुाद ही मोर्च पर कूद पडे। उनकी रणनीति ने नतीजों में कामयाबी भी पाई और  ज्योंति गुप्ता रिकार्ड 29,686 मतों से विजयी हुईं। 

शिवपाल सिंह यादव ने जीत के बाद भी दम दिखाते हुए कहाकि इटावा में भाजपा की दाल नहीं गलेगी। उन्होंन कहाकि समाजवादी पार्टी मे ंपूरे प्रदेश में अच्छा चुनाव लडा है। भाजपा सत्ता का दुरूपयोग कर रही थी इसलिए उसे हराना आसान नहीं था । हमारे संगठन में भी अभी काम करने की जरूरत है और कोशिश है कि 2024 से पहले हम पार्टी को और मजबूत करें ताकि जब भी मुकाबला नजदीकी का हो तो हम पिछडें नहीं वल्कि भाजपा पर भारी पड सकें।