निकाय चुनाव में सपा की हार का कारण बने ये 5 फैक्टर, अगर ऐसा न होता तो सपा पक्का जीत जाती !

निकाय चुनाव से पहले जिस तरह के दावे सपा आलाकमान और सपा के उम्मीदवारों की तरफ से किए गए वो सब फुस्स साबित हुए और पार्टी को मेयर की सीटों के लिए बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा अब हर किसी का सवाल यही है कि आखिर ऐसा कैसे हो सकता है कि सपा का एक भी उम्मीदवार मेयर की सीट नहीं जीत पाया ऐसे में हम आपको वो 5 कारण बताएंगे जो सपा की हार का कारण बने तो देर न करते हुए जानते हैं सभी कारण और बताते हैं कि आखिर अब अखिलेश यादव का अगला कदम क्या होगा !

कारण नंबर-1

                   प्रचार में अखिलेश की ढिलाई, इसी ने हार दिलाई

अखिलेश यादव ने चुनाव के प्रचार में हिस्सा तो लिया लेकिन जिस तरह से सरकार और पूरी कैबिनेट मैदान में भी उस तरह अखिलेश यादव सक्रियता नहीं दिखा पाए…स्टार प्रचारकों में चाचा शिवपाल तो रैलियों का हिस्सा दिखे…लेकिन सीएम सिटी गोरखपुर से जिस तरह से अखिलेश यादव ने प्रचार का हल्ला बोल किया वो पहले चरण में जिस तरह से रैलियों का हिस्सा अखिलेश यादव ने हिस्सा लिया वो कलेवर उन्होंने दूसरे चरण में नहीं दिखा क्योंकि बीच चुनाव अखिलेश यादव कर्नाटक पहुंच गए और वहां पर पार्टी के उम्मीदवारों के लिए प्रचार करते दिखे…वापस आने के बाद अखिलेश यादव ने एक दो रैलियां तो की लेकिन उनका खास असर नहीं दिखा !

कारण नंबर-2

              भितरघातियों ने सपा के साथ कर दिया खेला

जैसा कि हर बार देखने को मिलता है इस बार भी ऐसा ही हुआ कहीं घोषित उम्मीदवार ने पार्टी का साथ छोड़ बीजेपी में एंट्री ले ली तो कई जगह भितरघातियों ने सपा को कमजोर किया हालांकि जिनके बारे में अखिलेश को पता लगा उनके खिलाफ एक्शन भी हुआ लेकिन कुछ ऐसे थे जो पार्टी के साथ तो रहे लेकिन काम किसी और का करते रहे और अब नतीजा आपके सामने है !

कारण नंबर-3

           जिलाध्यकों की ढिलाई ने नैया डुबाई

चौंकाने वाली बात ये है कि कई जिलों में सपा की इकाई ही भंग दिखी जिले में सपा का कोई जिलाध्यक्ष ही नहीं था और जहां था वहां अखिलेश यादव ने जिम्मेदारी तो बहुत सोच समझ कर दी लेकिन कई जगहों पर जिलाध्यक्ष ऐसे नेता बने जो जनता के बीच कभी उनका सुख दुख जानने तक नहीं पहुंचे पार्टी के कार्यकर्ता और नेता इस बात पर सवाल भी उठाते रहे लेकिन उसका असर नहीं दिखा उदाहरण के तौर पर कन्नौज को ही ले लीजिए यहां जिन हाथों में जिले की कमान है वो सपा के प्रतिनिधी बनकर कभी किसी पीड़ित या किसी समारोह में नहीं दिखे साथ ही टिकट बंटवारे में भी उन नेताओं का साथ दिया जो जिताऊ नहीं थे ऐसे में निर्दलीय ताल ठोकने वालों ने पार्टी को कमजोर कर दिया !

कारण नंबर-4

       बागी नेताओं ने कर दिया खेल खराब

लंबे अरसे से पार्टी के नेता स्थानीय स्तर पर टिकट की उम्मीद में जमकर पसीना बहा रहे थे लेकिन एन वक्त पर जब टिकट किसी और को मिल गया तो उन नेताओं ने बागी तेवर अख्तियार कर लिए किसी ने निर्दलीय ताल ठोक दी तो किसी ने पार्टी के घोषित उम्मीदवार का साथ नहीं दिया और हालात ऐसे बने कि जो वोट सपा को मिलना था वो टूट गया और फायदा सत्ताधारियों को मिल गया !

कारण नंबर-5

          सपा के खिलाफ खड़ा था प्रशासन

आखिरी और सबसे अहम कारण यही था कि प्रशासन सपा के खिलाफ दिखा सपाईयों का दावा है कि सरकार के इशारे पर प्रशासन बीजेपी कार्यकर्ता के तौर पर काम कर रहा था और जैसा सरकार ने निर्देश दिया प्रशासन ने वही काम किया और सपा के उम्मीदवारों कई जगह तो जीता घोषित करने के बाद हारा हुआ घोषित कर दिया गया जिससे कई सीटें ऐसी हैं जहां सपा जीती जिताई बाजी हार गई और सत्ताधारी पार्टी के उम्मीदवार को विजई घोषित कर दिया गया जिसमें कुंडा नगर पंचायत को एक उदाहरण के तौर पर पेश किया जा रहा है