ये कवच नहीं, भाजपाई कपट है, उड़ीसा ट्रेन हादसे पर अखिलेश ने मोदी सरकार को घेरा!

तीन ट्रेनों के बीच हुई टक्कर में अब तक 288 लोगों की मौत हो चुकी है। अब्भी भी रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। इस ट्रेन हादसे के बीच रेलवे के एक सिसटम पर लगातार सवाल उठा रहा है। सवाल रेलवे की उस तकनीक पर है, जिसका डेमो कुछ समय पहले दिखाया गया था। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और सपा नेता अखिलेश यादव ने ट्वीट कर रेलवे के कवच सिस्टम पर सवाल उठाया है ओडिशा के बालासोर में शुक्रवार रात हुए भीषण ट्रेन हादसे के बाद उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और सपा नेता अखिलेश यादव ने भाजपा सरकार पर सवाल उठाया है।

अखिलेश यादव ने ट्वीट कर कहा कि

‘झूठी सरकार की झूठी तकनीकी ने कितने लोगों की जान ले ली है। इसके लिए मंत्री से लेकर कंपनी तक सब ज़िम्मेदार है। इस महाघोटाले और भ्रष्टाचार की एक आपराधिक मामले की तरह जांच करके दंडात्मक कार्रवाई हो। ये कवच नहीं, भाजपाई कपट है।’आपको बता दें कि कवच एक ऑटोमेटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम है, जिसे भारतीय रेलवे ने (रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड ऑर्गेनाइजेशन) के जरिए विकसित किया है।कवच एक स्वदेशी सुरक्षा प्रणाली है, जो मानवीय त्रुटि के कारण होने वाली दुर्घटनाओं को रोक सकती है।इस सिस्टम को विकसित करने के पीछे भारतीय रेलवे का उद्देश्य जीरो एक्सीडेंट का लक्ष्य हासिल करना है। इसका पहला ट्रायल साल 2016 में किया गया था।

ये सिस्टम कई इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेस का सेट है। इसमें रेडियो फ्रिक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन डिवाइसेस को ट्रेन, ट्रैक, रेलवे सिग्नल सिस्टम और हर स्टेशन पर एक किलोमीटर की दूरी पर इंस्टॉल किया जाता है। ये सिस्टम दूसरे कंपोनेंट्स से अल्ट्रा हाई रेडियो फ्रिक्वेंसी के जरिए कम्युनिकेट करता है। जैसे ही कोई लोको पायलट किसी सिग्नल को जंप करता है, तो कवच एक्टिव हो जाता है। जैसे ही सिस्टम को पता चलता है कि ट्रैक पर दूसरी ट्रेन आ रही है, तो वो पहली ट्रेन के मूवमेंट को रोक देता है।

बालासोर ट्रेन हादसे के बाद कवच मुख्य चर्चा बन गया, जिससे कई लोगों ने सुझाव दिया कि कवच की स्थापना से टकराव से बचा जा सकता था। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दुर्घटनास्थल का दौरा किया और पूछा कि ट्रेन में टक्कर रोधी प्रणाली क्यों नहीं लगाई गई। रेलवे के अधिकारी पहले ही इस बात की पुष्टि कर चुके हैं कि जिन ट्रेनों में यह हादसा हुआ है, उनमें कवच नहीं था। इतना होने के बावजूद, इस बात पर अलग-अलग राय आ रही है कि क्या कवच को स्थापित करने से त्रासदी टल सकती थी। वंदे भारत एक्सप्रेस के निर्माता सुधांशु मणि ने इंडिया टुडे से बात करते हुए कहा कि, ‘कवच इस दुर्घटना को नहीं रोक सकता था। प्रथम दृष्टया यह सिग्नलिंग विफलता का मामला नहीं लगता है. सरकार को जांच करनी चाहिए कि पहली ट्रेन क्यों पटरी से उतरी।’