लखनऊ : सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और उनके चाचा शिवपाल सिंह यादव के ठंडे पड़ चुके रिश्तों में फिर से एक बार गर्मी आती दिख रही हैं। दोनों के बीच संवाद शुरू हो चुका है और खुद अखिलेश यादव ने चाचा शिवपाल को फोन करके साथ आने का निमंत्रण दे दिया है। रणनीति बन चुकी है सियासी बिसात बिछनी शुरू हो चुकी हैं। अब बस औपचारिक ऐलान का इंतजार है लेकिन उससे पहले सीटों के बंटबारे का पेंच अभी भी फंसा हुआ है।
पिछले कुछ समय में सपा और प्रसपा के बीच घटनाक्रम काफी तेजी से पलट रहा है। शिवपाल यादव की ओर से ग्रीन सिग्नल मिलने के बाद अब खुद अखिलेश भी इस पर खुलकर बात कर रहे हैं। अब खुद अखिलेश यादव ने कहा है कि उनकी चाचा शिवपाल यादव से 2022 में होने वाले आगामी विधानसभा चुनावों के सिलसिले में फोन पर बात हो रही है।
हांलाकि पिछले सप्ताह ही पहले शिवपाल यादव ने एक टीवी शो में अफसोस जताया था कि सीएम योगी तो उनका फोन उठा लेते हैं लेकिन भतीजे अखिलेश के पास इतनी भी फुर्सत नहीं कि उनसे फोन पर भी बात कर सकें।
मैनपुरी में मंगलवार को मीडिया से बातचीत के दौरान यह सवाल उठा कि क्या वह आगामी चुनावों में शिवपाल यादव से हाथ मिला सकते हैं। इस पर अखिलेश बोले, ‘वह एक पार्टी के मुखिया हैं और हम उनकी पार्टी के लिए जगह बनाएंगे। उनको हम पूरा सम्मान देंगे।’ लेकिन इसके बाद अखिलेश ने जो कहा उसे सुनकर सब हैरान रह गए। अखिलेश ने खुलासा किया कि उनकी चाचा शिवपाल के साथ फोन पर बातचीत हो रही है।
जानकारों का मानना है कि अखिलेश यादव और शिवपाल सिंह यादव के बीच फोन पर बातचीत होने का अर्थ साफ है कि चाचा भतीजे के बीच कोई समझौता हो चुका है और चुनावी मौसम से पहले इसकी घोषणा कर दी जाएगी। सूत्र बताते हैं कि सपा की ओर से प्रसपा को छह सीटें ऑफर की गई हैं। विलय की संभावना से फिलहाल इंकार कर दिया गया है लेकिन चाचा शिवपाल को ऑफर दिया गया है कि अगर वे चाहें तो वह और उनके प्रत्याशी सपा के सिंबल यानी साइकिल चुनाव चिन्ह के साथ भी चुनाव लड सकते हैं। इससे सपा का पूरा वोट चाचा शिवपाल के कैडिंडेट को मिल सकेगा।
असल में 27 अगस्त को लखनऊ में अखिलेश के साथ अपने रिश्तों पर शिवपाल ने कहा था, ‘मुख्यमंत्री योगी तो फोन पर आ जाते हैं लेकिन भतीजे के फोन भी न हीं आते। मुझे इसका दुख है और अफसोस भी। इसी के बाद अब अखिलेश यादव ने साफ तौर से खुलासा कर दिया है कि वे फोन पर चाचा से संपर्क में हैं।
इस बीच खबर ये भी है कि सपा ने दोनों दलों के विलय की संभावना से इनकार किया है। फिर भी सद्भावना के तौर पर अगर अखिलेश प्रस्ताव रखते हैं तो शिवपाल यादव की पार्टी अपने कुछ उम्मीदवारों को समाजवादी पार्टी के निशान तले चुनावी मैदान में खड़ा कर सकती है।
पहले ऐसे उदाहरण रहे हैं जहां सहयोगी दलों के उम्मीदवार समाजवादी पार्टी के टिकट और चुनाव चिन्ह पर मैदान में उतरे हैं। आने वाले चुनावों में भी ऐसा देखने को मिल सकता है।
113 thoughts on “अखिलेश यादव ने दिए चाचा शिवपाल सिंह के साथ सुलह के संकेत”
Comments are closed.