दस सूत्रीय मांगों को लेकर ओबीसी महासभा का हल्लाबोल!


मैनपुरी। आरक्षण को लेकर ओबीसी महासभा ने अपना आंदोलन तेज कर दिया है। महासभा के जिलाध्यक्ष के नेतृत्व में संगठन के पदाधिकारियों ने दस सूत्रीय मांगों का ज्ञापन प्रधानमंत्री को भेजा है।

प्रधानमंत्री के नाम संबोधित ज्ञापन उपजिलाधिकारी कार्यालय को सौंपते हुए महासभा के जिलाध्यक्ष सुरजीत सिंह लोधी ने बताया कि जनगणना में ओबीसी कॉलम जोड़ने के लिये लाखों मांगों के बावजूद सरकार की असंवेदनशीलता के कारण सम्पूर्ण ओबीसी समाज आक्रोशित है । साथ ही आरक्षण की विसंगतियों तथा सरकार की नीतियों से भी देश की जनता परेशान है।

ज्ञापन में इन दस विन्दुओं को लेकर पीएम से कार्रवाई की मांग की गई है।

  1. भारत सरकार से जनगणना फार्म में ओबीसी की जातिगत जनगणना कराये जाने हेतु ओबीसी कॉलम जोड़ने के लिये विभिन्न मारी विज्ञापन प्रदर्शन किये जाने के बावजूद सरकार की असंवेदनशीलता के कारण सम्पूर्ण ओबीसी समाज आक्रोशित है अतिनीध ओबीसी कॉलम जोड़े जाने की कार्यवाही सुनिश्चित की जाए।
    2 मंडल आयोग की अनुशंसाओ को पूर्णतः लागू करते हुए राज्यवार विधानसभाओ ओर लोकसभा में 353 सीटे आरक्षित की जाए।
  2. विभिन्न समाचारों के माध्यमों से ज्ञात हुए सरकार द्वारा ओबीसी आरक्षण में असंवैधानिक कीमीलेयर की बातों में साजिशन सैलरी, कृषि सहित अन्य आय को भी जोड़कर भविष्य में ओबीसी वर्ग की बहुत बड़ी आबादी को ओबीसी आरक्षण से बाहर किये जाने की सरकार की मंशा का संगठन पुरजोर विरोध दर्ज कराएगा।
  3. केंद्र और राज्य सरकार के शास्त्रीय विभागों में ओबीसी के रिक्त पदों (बैकलॉग) के लिये विशेष भर्ती प्रक्रिया की तारीख आगे बढ़ाए जाने पर रोक लगाते हुए रिक्त पदों को अतिशीत भरा जाए।
    5.साजिशन ओबीसी वर्ग को शासकीय नौकरियों से बंचित रखने के लिये मध्यप्रदेश डाक विभाग, उत्तराखंड AIIMS ऋषिकेश भर्ती, उप्र 69000 ओवरलेपिंग, राजस्थान LDC भर्ती प्रकरण, Upsc में असिस्टेंट प्रोफेसर)भर्ती, जैसे देशभर के अन्य भर्ती मामलों में ओबीसी को प्रदत्त वर्तमान ओबीसी आरक्षण सुनिश्चित कराया जाए।
    6.भारतीय विभागों का निजीकरण की प्रक्रिया को तत्काल बंद किया जाए।
  4. राजस्थान की तरह पर मृत्युभोज (सामाजिक कुरीति) को सम्पूर्ण देश में कानून बनाकर रोक लगाई जाए।
  5. ओबीसी महासभा ग्वालियर के साथियों पर 13 फरवरी 2020 एवं मध्यप्रदेश के छतरपुर में ओबीसी आंदोलन के दौरान शांतिपूर्ण प्रदर्शन बावजूद धारा 188 के तहत जबरन केस दर्ज को अविलंब वापस लिया जाये।
    9.मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ में 545 से अधिक संख्या वाले पिछड़े वर्ग को सरकार द्वारा दिए गए 27% आरक्षण के विद्ध प्रस्तुत याचिकाओ में शासन का पक्ष मजबूती से रखते हुए आरक्षण लागू कराया जाना सुनिश्चित कराया जाए।
  6. ओबीसी समाज की कुर्मी, लोधी, कुमावाह, यादव, तेली, सेन, प्रजापति, चौरसिया, निषाद रजक, सहित अन्य जातियों के लोगों के साथ देशभर में बढ़ते अपराधों को रोकने के लिये कठोरतम जमीनी प्रयास किया जाना सुनिश्चित किया जाए।