न बीजेपी टिकेगी और न बीएसपी दे पाएगी टक्कर, सपा ने बदल दिया पूरा गेम

छोटे नेताजी अखिलेश यादव क्या बने की उनके तेवर, कलेवर और काम करने का अंदाज ही बदल गया है अखिलेश यादव साइलेंट अटैकर बनते जा रहे हैं नेताजी के अंदाज में अखिलेश यादव संधे हुए अंदाज में रणनीति बनाते हैं और ऐसा धमाका करते हैं कि विरोधी न संभल पाते हैं और न बर्दाश्त कर पाते हैं अखिलेश यादव ने अब बीजेपी के सपने को चकनाचूर तो किया ही तो वहीं दूसरी तरफ बीएसपी को ऐसा झटका देने की तैयारी कर ली है कि बहनजी की बीएसपी का सूफड़ा साफ होने के पूरे संकेत मिल रहे हैं आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारी में लगे अखिलेश यादव ने कोलकाता से ऐसा पासा फेंका है कि उत्तर प्रदेश की सियासत में हंगामा बरपा हुआ है अखिलेश यादव के साइलेंट अटैक से विरोधी धुरंधर माथा पीट रहे हैं कि आखिर अब ऐसा क्या करें जो वोटबैंक को बचाया जा सके

दरअसल सपा ने लोकसभा चुनाव की तैयारी तेज कर दी है राष्ट्रीय अधिवेशन के बाद पार्टी ने बीजेपी के खिलाफ बनाए गए प्लान पर काम भी शुरू कर दिया है सपा यूपी में दलित वोट बैंक के सहारे चुनावी मैदान में साइकिल दौड़ाने की तैयारी कर रही है इस वोट बैंक को हासिल करने के लिए पार्टी के पुराने चेहरे अवधेश प्रसाद और रामजी सुमन लाल को चेहरा बनाया गया सपा की रणनीति के अनुसार यदि दलित वोट बैंक उसके साथ जुड़ जाए तो 2024 की सियासी राह आसान हो सकती है 2022 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले सपा ने लोहियावादियों को अंबेडकरवादियों को एक मंच पर लाने की शुरुआत की थी पार्टी ने डॉ अंबेडकर के सिद्धांत और सपनों को पूरा करने की वकालत करते हुए अंबेडकर वाहिनी की घोषणा की विधानसभा चुनाव में पार्टी का वोट बैंक करीब 32 फीसदी तक पहुंच गया अब यही रणनीति लोकसभा चुनाव में भी अपनाने की तैयारी चल रही है सपा की कोलकाता में चली राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में मंच पर अखिलेश यादव के बगल में नौ बार के विधायक अवधेश प्रसाद और पूर्व सांसद राम जी सुमन नजर आए अयोध्या निवासी अवधेश प्रसाद पासी बिरादरी से और आगरा के रामजी लाल सुमन जाटव है ये दोनों जातियां दलित राजनीति में प्रभावी मानी जाती हैं

सपा एक तरफ पुरानी पीढ़ी के दलित नेताओं को साथ लेकर चल रही तो दूसरी तरफ युवा दलित नेताओं पर भी फोकस कर रही है गोरखपुर से बृजेश कुमार गौतम को जिला अध्यक्ष बनाया है जो बीएसपी से आए हैं इसके साथ युवा चेहरे के रूप में रामकरण निर्मल, चंद्र शेखर चौधरी और मनोज पासवान भी सक्रिय हैं रामपुर उपचुनाव में मंच पर अखिलेश यादव के बगल में दलित नेता चंद्र शेखर आजाद बैठे नजर आए थे ध्यान देने वाली बात ये है कि बीएसपी को 2012 में करीब 26 फीसदी, 2017 में 22.4 फीसदी और 2022 में करीब 12.7 फीसदी वोट मिला था जबकि प्रदेश में करीब 11 फीसदी जाटव, तीन फीसदी पासी और दो फीसदी अन्य दलित जातियां हैं पार्टी के रणनीतिकारों का कहना कि उनकी नजर दलितों के पांच से छह फीसदी वोट बैंक पर है इसके लिए हर स्तर पर प्रयास किया जा रहा है

बीएसपी के तमाम पुराने नेता उससे अलग हो चुके हैं, इनमें से कुछ सपा के साथ हैं ऐसे में बीएसपी पहले से ही कमजोरा का शिकार है ऊपर से अखिलेश यादव की ये चालें उसको दोहरा झटका देने का काम कर रही है बहनजी पहले से ही पार्टी को संभालने में फेल दिख रही है और अगर अखिलेश की चाल सफल साबित हुई तो फिर बीएसपी का 2024 में खाता खुलना भी मुश्किल दिख रहा है