इधर लखनऊ में योगी इन्‍वेस्‍टर मीट कर रहे थे, अंबानी के साथ चाय पी रहे थे उधर अखिलेश ने कर दिया खेला

राजधानी लखनऊ में योगी सरकार का सबसे बडा मेला सजा था । ग्‍लोबल इंवेस्‍टर मीट के लिए हजारों लाखों करोड के प्रोजेक्‍टस पर बातचीत हो रही थी। खुद प्रधानमंत्री मोदी ने समिट को खास तौर से वक्‍त दिया और इसे यूपी के लिए सुनहरा दिन बताया । मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ के चेहरे पर खुशी साफ झलक रही थी और उनका दावा भी यही था कि यूपी में अब पैसों की बरसात होने वाली है ….  इसी बीच भले ही विपक्ष के कई नेता शांत थे लेकिन अखिलेश यादव ने फिर अचानक जो वार किया उसने कई भाजपा नेताआंे के चेहरों से मुस्‍कान छीन ली ।

दरअसल अखिलेश यादव कल से ही काशी में अपना डेरा जमाए हुए हैं और आज जब वे सडकों पर निकले और मंदिर मंदिर जाकर परिक्रमा की तो उनकी सुर्खियां भी चैनलों परदिखाई देने लगीं। शायद अखिलेश का प्‍लान भी यही था कि ठीक उसी समय पर अपना मूवमेंट किया जाए जब योगी सरकार समिट को लेकर बातें कर रही हो । इसमें अखिलेश यादव सफल भी हुए और योगी से पूछ लिया कि इंन्‍वेस्‍टमेंट आना तो अच्‍छी बात है लेकिन प्रधानमंत्री जी के मित्र को आज यूपी आना था वो कहां रह गए?अखिलेश का सीधा इशारा अडानी की ओर था जिनको लेकर पूरे देश में इन दिनों खबरों और चर्चाओं का दौर तेज हैा संसद से लेकर सडक तक और शेयर मार्केट से लेकर बाजार तक आफत मची हुई है ।

अखिलेश यादव ने कहा कि इन्वेस्टर मीट के नाम पर भाजपा जनता को धोखा दे रही है। इन्वेस्टर समिट को जनता की आंखों में आंखों में धूल झोंकने जैसा है। कहा कि यदि बनारस के लोग भी टाई व सूट पहन कर चले जाएं तो बीजेपी वाले आपसे भी एमओयू साइन करवा लेंगे।

उन्होंने कहा कि जब पहले भी कोई इन्वेस्टर मीट यूपी में कुछ नहीं आया, तो अब कैसे आएगा। कहा कि सरकार इनवेस्टरों को सुविधा नहीं देगी, तब तक एमओयू से कोई फायदा मिलने वाला नहीं है। उन्होंने कहा कि गंगा सफाई के नाम पर पैसा पानी में बह गया। नमामि गंगा में बताओ क्या गंगा मां साफ हुई। उन्होंने कहा कि जिस लोक भवन में मुख्यमंत्री बैठ रहे हैं, वह सपा सरकार ने बनवाया और नेताजी ने उद्घाटन किया था। वहीं भाजपा ने अपने नेता पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की प्रतिमा लगाई है । आपको बता दें कि अडानी ने मुंबई में योगी से मुलकाात के वक्‍त यूपी में सवा लाख करोड रूपए के निवेश का वादा किया था लेकिन समिट से पहले हिंडनवर्ग की रिपोर्ट ने गेम पलट दिया और शायद इसी वजह से अडानी लखनउ नहीं आए । यूपी सरकार के निमंत्रण पर उनकी ओर से कुछ भी नहीं कहा गया था और समिट में शामिल होने वाले कई लोग अडानी को लेकर सवाल उठाते नजर आए