ये यूपी की सियासत में हो क्‍या रहा है ?  बीजेपी के मंत्री पहुंच गए राजभर के द्वार !

सियासत संभावनाओं की जननी है और संभावनाएं भी ऐसी ऐसी कि कई बार सनसनी फैला दें और कई बार हंगामा बरपा दें  कहने को आम चुनावों में अभी एक साल का वक्त है लेकिन उससे पहले ही संभावनाओं का दौर जारी है कहीं तीसरे मोर्चे की चर्चा है तो कहीं रुठो को मनाने का काम हो रहा है और छोड़कर गए साथियों को साथ लाने की कोशिश की जा रही है इस बीच अखिलेश और शिवपाल तो साथ हो गए लेकिन अब राजभर पर डोरे डालने का दौर जारी है इसी बीच राजभर ने गठबंधन के नाम पर एक ऐसी शर्त रख दी जिसने बीजेपी, सपा और कांग्रेस को तो परेशान कर दिया लेकिन बीएसपी की मुखिया मायावती मुस्करा रही है  !

मायावती ने भी नहीं सोचा होगा कि जिसे वो पसंद तक नहीं करतीं वो ही उनके लिए देश की कुर्सी के रिजर्वेशन की बात करेगा दरअसल ओम प्रकाश राजभर ने मायावती को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार मान सभी को उनका साथ देने की शर्त रखी है और अब यही शर्त सुर्खियां बटोर रही है कहानी शायद अभी आपके पल्ले कम पड़ रही हो लेकिन जब पूरी खबर आप देखेंगे तो सब समझ जाएंगे तो फिर देर न करते हुए उठाते हैं हर पहलू से पर्दा  दरअसल हुआ कुछ यूं कि योगी सरकार में मंत्री दयाशंकर सिंह ने सुभासपा प्रमुख ओम प्रकाश राजभर से मुलाकात की उन्होंने जोर देकर कहा कि भारतीय जनता पार्टी और सुभासपा वैचारिक रूप से करीब हैं क्योंकि “दोनों गरीबों और वंचितों के लिए लड़ रही हैं दयाशंकर और ओम प्रकाश राजभर ने मुलाकात के बाद मीडिया से बातचीत की हालांकि, राजभर ने फिलहाल गठजोड़ से इनकार किया है लेकिन दयाशंकर की बातों से लगता है कि सब सैट हो गया है  !

दरअसल सुभासपा ने 2017 का विधानसभा चुनाव बीजेपी के साथ मिलकर लड़ा था पार्टी मुखिया राजभर उस साल हुए चुनाव के बाद बनी प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री भी बनाये गये थे लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मनमुटाव के चलते साल 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले वो सरकार और गठबंधन से अलग हो गये थे ओम प्रकाश राजभर की पार्टी ने पिछले साल हुए राज्य विधानसभा चुनाव को सपा के साथ मिलकर लड़ा था मगर गठबंधन को अपेक्षित सफलता नहीं मिल पाने के बाद राजभर ने सपा से भी नाता तोड़ लिया था  !

अब जो मुलाकात हुई उसके बाद सवाल फिर उठ रहे हैं कि कौन किसके साथ है ऐसे में परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह ने कहा कि राजभर जब सपा के साथ थे तब भी मैं उनसे मिलता था और उनसे कहता था कि आप गलत रास्ते पर जा रहे हैं आप गरीबों, पिछड़ों और मजदूरों के लिए सोचते हैं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी तो यही काम कर रहे हैं आप इधर आइए आप कहां गलत रास्ते पर जा रहे हैं आगामी लोकसभा चुनाव में गठबंधन के सवाल पर उन्होंने कहा कि हमारा समीकरण बनना अच्छी बात होगी साथ रहने से राजभर भी फायदा है हमको भी फायदा है हालांकि, ओमप्रकाश राजभर ने फिलहाल भाजपा से गठबंधन की संभावना से साफ इनकार करते हुए कहा कि हम निकाय चुनाव अकेले अपने दम पर लड़ेंगे बाकी, लोकसभा चुनाव जब आएगा तो देखा जाएगा राजभर ने इस मौके पर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव पर भाजपा से मिलीभगत का आरोप लगाते हुए कहा कि अखिलेश यादव विपक्ष की एकजुटता की बात तो करते हैं !

 

बहुजन समाज पार्टी अध्यक्ष मायावती और कांग्रेस नेतृत्व से नहीं मिलते  उन्होंने कहा कि अगर विपक्ष एकजुट होना चाहता है तो मायावती को नेता मानकर और एक दलित चेहरा मानकर प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाए फिर आगे क्या होता है वो मैं देख लूंगा  राजभर का इतना कहना था कि सियासी हंगामा तेज हो गया और अब सब सवाल दाग रहे हैं कि क्या राजभर की शर्त को बीजेपी या सपा या फिर कांग्रेस मानेगी शायद जवाब न होगा लेकिन देखना ये है कि राजभर को साधने के लिए अब कौन सा पासा कौन सा दल फेंकता है  !