लखनऊ : उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 भाजपा की सत्ता में दोबारा वापसी के साथ इस लिए लिए भी याद रखा जाएगा क्योंकि एक भी निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव नहीं जीत सका।जो प्रत्याशी पहले बिना किसी चुनावी दल के सहारे से विधानसभा तक पहंचे थे उन्होंने भी दलों का सहारा लिया।निर्दलीय इधर कई चुनावों से हाशिए पर रहे हैं, क्योंकि जनता पूर्ण बहुमत की सरकारें लगातार बना रही है।
आजादी के बाद से हुए विधानसभा चुनाव के बाद निर्दलीय प्रत्याशियों ने हर चुनाव में हिस्सा में लिया लेकिन निर्दलीय प्रत्याशी आज तक सौ का आंकडा नही छू सके हैं।2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा में निर्दलीय प्रत्याशियोम की संख्या मात्र तीन ही रह गई थी।
कुंडा से निर्दलीय विधायक रघुराज प्रताप सिंह इस बार जनसत्ता दल लोकतांत्रिक पार्टी बनाकर मैदान में उतरे, खुद चुनाव जीतने के साथ ही बाबागंज सुरक्षित सीट से विनोद कुमार को भी सफलता मिली। वहीं, नौतनवा सीट से अमनमणि त्रिपाठी बसपा के टिकट पर उतरे और उन्हें पराजित होना पड़ा।
उत्तर प्रदेश की कई विधानसभा सीटों पर निर्दलीय प्रत्याशियों का प्रर्दशन शानदार रहा लेकिन जीत हासिल नही कर सके। प्रदेश में निर्दलीय एक बड़ी ताकत रहे हैं। उनके समर्थन से सत्ता बनती और बिगड़ जाती थी, क्योंकि सरकारों को बहुमत के लिए इनका सहारा लेना पड़ता था।
इस बार राजनीतिक पार्टियों से टिकट न मिलने पर निर्दलीय के रूप में चुनाव मैदान में उतरने वालों की तादाद घटकर 1021 रह गई, ज्ञात हो कि पिछले चुनाव में 1462 ने बतौर निर्दलीय चुनाव लड़ा था। परिणाम आया तो निर्दलीय प्रत्याशी सन्न रह गए, क्योंकि एक को भी जीत हासिल नहीं हुई।
133 thoughts on “उत्तर प्रदेश चुनाव में एक भी निर्दलीय नही पहुंच सका विधानसभा”
Comments are closed.